Thursday, October 23, 2008

Desi Masala Sex Stroies 5 (फ़्रेन्ड से गर्ल फ़्रेन्ड बन गयी वो उस दिन)

फ़्रेन्ड से गर्ल फ़्रेन्ड बन गयी वो उस दिन

प्रेषक: रोहित मस्त

सभी फड़कती चूतों को सलाम! पिछली स्टोरी के लिए आपके ढेर सारे मिल्स आए उनके लिए आप सब का बहुत बहुत थंक्स यार और ये स्टोरी पढ़ कर भी रेपली ज़रूर करना.. और अब ज़्यादा भूमिका बनाये बिना सीधा सीधा कहानी शुरू करता हूँ.

हुआ यूँ की वो मेरे ऑफिस में मेरे कलीग थी और मेरी अच्छी फ्रेंड थी मगर हमने उस नज़र से कभी एक दुसरे के बारे में नही सोचा था. उसका नाम निशा और फिगर ३६-२८-३६ का था. बोले तो एक दम मस्त. ऊपर से उसका गोरा और एक दम कसा हुआ बदन. बस देखते ही कोई भी पागल हो जाए. उस दिन मैंने उसे काफी परेशान देखा तो पूछा यार क्या प्रॉब्लम है? तो उसने बताया कि वो मोंठ में पहले ही ३ लीव ले चुकी है और अब उसे उसकी कज़न सिस्टर कि शादी में जाना है जयपुर और बस से अगर जायेगी भी तो एक दिन में वापिस नही आ सकती और एच आर बोल रहा है कि एक दिन से ज़्यादा छुट्टी बर्दाश्त नही होगी. मैंने तुंरत उसे बोला कि टेंशन काहे कि यार मैं तुम्हें दिल्ली से जयपुर बाइक पर ले जाऊंगा ३ घंटे में पहुँच जायेंगे और तुम अपना काम निपटा लेना फ़िर वापिस आ जायेंगे. वो मान गई. मगर प्रॉब्लम ये थी कि वो अपने रिलेटिव्स को ये नही दिखाना चाहती थी कि वो किसी लड़के के साथ आई है इसलिए मैंने बोला कि मैं वहीं कहीं घूम लूँगा या किसी होटल में रूम ले लूँगा. वो मान गई.

हम चल दिए और मैंने उसे १२ बजे जयपुर पहुँचा दिया. अब मैंने एक होटल में रूम ले लिया और उसको बोल दिया कि जब तुम फ्री हो जाओ तो मुझे फ़ोन पर बता देना और इस होटल में आ जाना. मैं जाते ही थक जाने के कारण सो गया और नींद तब खुली जब उसका फ़ोन बजा. तब तक शाम के ६ बज चुके थे. मैंने उसे यहाँ आने को बोला और फटाफट नहाने के लिए चला गया. जैसे ही मैं नहा कर बहार निकला तो मैंने देखा कि निशा बेड पे बैठी है. दरअसल मैंने गलती से दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था. अब वो भी मुझे देख कर हैरान हो गई. क्योंकि मैंने कुछ भी नही पहना हुआ था और टावल कंधे पे डाल कर मैं बाल पोंछता हुआ बाहर आ गया. दरअसल मेरे अंडरवियर और बनियान भी बेड पर ही थे. उसने देखते ही सीधा मुंडी नीचे कि तरफ़ की और बोली- हाय हाय इतना बड़ा.

मैंने फटाफट टावल लेकर नीचे बांधा और बोला कि तुम्हें नोक करके आना चाहिए था और उसने कहा कि तुम्हें दरवाज़ा बंद करके रखना चाहिए था. अब मेरे कपड़े और अंडर गारमेंट्स उसके पास थे मैंने उससे मांगे तो उसने नही दिए. इतने पर मेरा कीडा भी जाग चुका था और मैं उसे चोदने के मूड में आ गया था.. मैंने कहा देखो या तो प्यार से दे दो वरना फ़िर तुम्हें ही भुगतना पड़ेगा अगर कुछ हो गया तो. उसने कहा जो होगा सो देखा जाएगा पर मैं तो आपके कपड़े देने वाली नही. मैं समझ गया कि भाई हरी झंडी मिल रही है. मैंने उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया और इसी खींच तान के बीच उसके लिप्स पर स्मूच जड़ दिया. पहले कुछ सेकंड्स तो जैसे वो विरोध कर रही थी लेकिन उसके बाद तो बस ज़बरदस्त सहयोग मिला और हमने दस मिनट तक होंठ अलग नही किए. बल्कि इस बीच एक दुसरे को कस के पकड़ लिया.

उसने जींस और टॉप पहनी थी और उसकी टॉप में आगे जिप लगी हुई थी. मैंने उसकी जिप को खोल दिया और उसने अपने हाथों से टॉप को अलग कर दिया अब मेरे हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को प्रेस करने लगे. मैंने झटके से हाथ पीछे करके ब्रा का हूक खोल दिया और उसने कहा कि लगता है बड़ी आदत है ब्रा खोलने कि. मैंने बोला कि सपनो में तुम्हारी ब्रा रोज़ खोलता हूँ इसीलिए मेरी जान. और वो हंसने लगी और मेरी गर्दन पर और चेस्ट पर किस्स्स की बरसात करती रही उसके मस्त कसे हुए बूब्स और एक दम ताने हुए निप्प्लेस देख कर तो मैं फ्लैट ही हो गया था मैंने खूब उसके चूचे चूसे और फ़िर उसकी जींस का हूक खोल दिया वो तो जैसे तैयार ही थी इसके लिए और उसने झट से अपनी जींस ख़ुद ही नीचे करके उतार दी और अपने जिस्म से अलग कर दी. मेरा टावल कब मेरी कमर से खुल चुका था मुझे नही पता था. और मैंने उसकी ब्लैक कलर कि सेक्सी पैंटी भी उतार दी. उसकी चूत पर एक भी बाल नही था. मैंने फटाफट उसे चाटना शुरू किया और वो कराहने लगी.

वो अभी तक वर्जिन थी और उसकी चूत बहुत टाइट थी जिसका अंदाजा मुझे तब लगा जब मैं उसकी चूत में उंगली डाल रहा था और वो मारे दर्द के रोने लगी. तभी मैंने ६९ की पोसिशन में आकर अपना लंड उसके मुंह में दे दिया वो न न करने लगी और कहने लगी कि नही ऐसा नही करो मुझे उलटी आ जायेगी वगैरह वगैरह मगर मैंने उसे समझाया कि निशा अगर सेक्स का मज़ा लेना चाहती हो तो सकिंग करो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और वो मान गई उसके बाद तो मैं उसे नीचे से गरम करता गया और उसकी नशीली चूत चाटता रहा और वो मेरा लंड चूसती रही.

फ़िर अचानक लंड छोड़ कर बोली कि बस करो रोहित अब और नही रहा जाता. मेरे लंड का साइज़ ८.५ इंच और ३ इंच मोटा है जैसे ही मैं लंड डालने लगा वो बोलने लगी कि नही रहने दो ये बहुत मोटा है मेरी चूत फट जायेगी. मैंने कहा कि मेरी जान चिंता नही करो और थोड़ा सा सब्र रखो. मैं तुम्हें बिल्कुल दर्द नही होने दूंगा और कुछ नही होगा. मैंने धीरे धीरे घुसाना शुरू किया और उसने चिल्लाना भी शुरू कर दिया. पर मैंने उसकी चींख को इग्नोर कर दिया और लगा रहा अपने काम में. बस मज़ा आ गया. २ मिनट के बाद उसको भी मज़ा आने लगा और वो चीन्खना बंद करके नीचे से कमर हिलाने लगी. मैं समझ गया मैंने स्पीड बढ़ा दी और लंड को और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारने लगा अब लंड पूरा अन्दर जा चुका था और उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

मैंने उसे १५ मिनट तक लगातार चोदा और इस बीच वो ३ बार झाड़ चुकी थी. जैसे ही मेरा माल टपकने वाला था उसने कहा कि प्लीज़ अन्दर मत डालना. मैंने फटाफट लंड बाहर निकला और अपना सारा माल उसके पेट और चूत के बाहर गिरा दिया. इसके बाद हमने कई बार चुदाई का खेल खेला और हम रात को होटल में ही रुक गए और साड़ी रात खूब मज़ा करके नंगे ही एक दूसरे के ऊपर सो गए. सुबह ६ उठे और फटाफट ऑफिस दिल्ली के लिए निकले हम आधे दिन के बाद ऑफिस पहुंचे पर मैंने अप्रोच लगा कर उसे बचा लिया और उसके बाद उसके साथ कई बार सेक्स किया.

Desi Malsa Sex Stroeis -4 अ सेक्सी नाइट विद सोफिया

अ सेक्सी नाइट विद सोफिया

प्रेषक : सावन शर्मा

हेल्लो दोस्तों ! आज आपका दोस्त फ़िर से हाजिर है चुदाई के एक नए कारनामे के साथ. दोस्तों में अब तक आपको अपने दो सेक्सी घटनाओं के बारे में बता चुका हूँ. दोस्तों आज एक ऐसी कहानी आपके सामने लेकर आ रहा हूँ जिस कहानी का हर एक मोड़ सारी लड़कियों की चूतों को मजबूर कर देगा उनकी पैंटी को गीला कर देने के लिए और हर लड़के के लंड को भड़कने के लिए.

दोस्तों गरेजुएशन कर लेने के बाद मैंने इक कंपनी में मार्केटिंग मेनेजर की जॉब जों कर ली मेरा काम होता था अपने प्रोडक्ट की प्रमोशन के लिए लोगों से मिलने का. एक बार मुझे अपने एक प्रोडक्ट प्रमोशन के लिए नैनीताल जाना पड़ा. मुझे वहां पर एक डिरेक्टर को मिलना था. मैं थोड़ा सा परेशां भी था की पता नहीं कोन होगा किस मिजाज़ का बन्दा होगा. मैं तब तक मीटिंग रूम में इंतज़ार कर रहा था मेरे सामने काफी का कप रखा था.

तभी अचानक दरवाजा खुला और एक बीस बाईस साल की छत्तीस -छब्बीस -अडतीस फिगर की सेक्स बम उस रूम में आई. फुल कटिंग हाफ स्लीव शर्ट. उसके उपर ब्लैक फैशनेबल जैकेट और ब्लैक जींस में मनो कोई क़यामत मेरे सामने आके खड़ी हो गई. रंग रूप में किसी अप्सरा को भी मात दे दे. होंट बिल्कुल गुलाब की पंखुडियों के जैसे. गालों पर जैसे किसी ने गुलाबी रंग लगा दिया हो. हेयर कट तो चेहरे पर बिजली गिरा रहा था. गर्दन में व्हाइट प्लेटिनम का बना एक डायमंड नैकलेस पहना हुआ था. जो कि झुक कर चुचियों के बीच में बने गैप स्पॉट में फंस रहा था. मानो वो मदहोश होकर उसकी चुचियों को चूम रहा था. सच मुच उसकी चूचियां उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी. लग रहा था जैसे उसने अपनी शर्ट के भीतर दो सेक्स बोम्ब छुपा रखे हों और उन बोम्ब्स के बाहर आते ही चारो तरफ़ सेक्स ही सेक्स फ़ैल जाएगा.

अभी मै उसकी खूबसूरती की नदी में गोते लगा ही रहा था. तभी उसने कहा - येस मिस्टर सावन ! वेयर अरे यू. कहाँ खो गए? हाजिर जवाबी में हम भी किसी से कम न थे, सो बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया कि जब अचानक धूप आँखों पर पड़े तो आँखों को खुलने में थोड़ा वक्त लगता है. मेरा जवाब सुन कर वो बोली ओह्ह इट्स ग्रेट. उसने अपना नाम सोफिया बताया. कुछ देर बाद हमारी मीटिंग स्टार्ट हो गई. जब मैं उसे प्रोडक्ट बता रहा था तो मेरी नज़र अचानक उसकी चुचियों पर जा अटकी शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जिनमे से काले रंग की चोली से चूचियां बाहर आने की पूरी कोशिश कर रही थी. मगर वो काली चोली उन्हें अपनी गिरफ्त से आजाद नहीं होने दे रही थी. मेरी इस हरकत को वो पहचान चुकी थी.

आख़िर मैंने पूरा प्रोडक्ट ख़तम किया और मीटिंग ओवर कर दी. सोफिया ने कहा योउर प्रोडक्ट इस वैरी गुड. बट आइ ऍम रेअली इमप्रेसेड बाय योउर प्रेजेंटेशन. सोफिया वहां से चली गई. मुझे अभी वहां बैठना था. सोफिया वापस आई और बोली सावन मैं घर जा रही हूँ, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे तुम्हारे होटल तक लिफ्ट दे सकती हूँ मैंने उसे बताया कि अभी मेरे पास मेरे होटल के बारे कोई मैसेज नहीं है. सोफिया ने कहा जब तक तुम्हारा होटल कन्फर्म नहीं होता तुम मेरे घर पर रह सकते हो मैं घर में अकेली रहती हूँ.

हम गाड़ी में बैठ गए सोफिया ड्राइव कर रही थी. बातों बातों में हम ओफिशिअल से पर्सनल हो गए और एकाएक सोफिया का हाथ फिसल कर गियर लीवर से हट कर मेरे लंड पर आ गया. मुझे झटका सा लगा पर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया. सोफिया ने सॉरी कह कर हाथ हटा लिया. हम घर पहुँच गए. घर जाकर सोफिया ने नौकरानी को चाय लाने के लिए कहा. हमने चाय ली. सोफिया नौकरानी से बोली तुम घर जा सकती हो क्योंकि हम खाना बाहर खायेंगे.

अब हम दोनों अकेले थे सोफिया नहाने चली गई. तभी सोफिया बोली - सावन इफ यू डोंट माईंड, तुम मेरी ब्रा पैंटी मुझे बाहर से ला दोगे? मैंने कहा क्यों नहीं. और ब्रा पैंटी उसे दे दी कुछ ही पलों में सोफिया ने कहा - सावन ! मुझसे ब्रा का हुक नहीं लग रहा तुम लगा दोगे? मैं बाथरूम में गया और सोचा कि सावन तुझे इतने ग्रीन सिग्नल मिल रहे हैं अब तो गाड़ी को आगे बढ़ा ले.

मैंने हुक लगाने के बहाने सोफिया की गोरी और चिकनी कमर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. सोफिया ने कहा - सावन ये तुम क्या कर रहे हो और बाथरूम से निकल कर बाहर आ गई. मैंने उसे पकड़ कर उसकी गर्दन पर अपनी गरम साँसे छोड़ी और होंटो को अपने होंटो में लेकर चूसना शुरू किया. अब वो चाह कर भी मेरी कैद से ख़ुद को आजाद नहीं कर पा रही थी. हम दोनों अब बिल्कुल नग्न थे और दोनों एक ही टब में नहा रहे थे. मैंने सोफिया की मस्त चुचियों को अपने हाथों में ले लिया. जैसे मै चुचियों को दबाता तो उसके मुंह से स ससी ईई ……………….आ आ आह ह्ह्ह हह ………………ऊ ओ ऊओऊ ऊऊ ऊफ्फ फ्फ्फ्फ्फ्फ़ …………..की सिसकियाँ निकलने लगती.

मैंने टब के अंदर ही सोफिया की गुलाबी चूत में ऊँगली डाल दी. सोफिया पानी में होते हुए भी गरम लग रही थी. हम पानी से बाहर आ गए बाहर आते ही सोफिया मुझ से लिपट गई और कहने लगी सावन अब और नहीं सहा जाता अपना ये मस्त लंड मेरी चूत में डालो और मुझे आज जन्नत की सैर करा दो. अब हम दोनों एक दम मजबूर हो चुके थे क्योंकि किसी में भी ख़ुद को रोक पाने की ताकत नहीं थी. मैं सोफिया को अपनी बांहों में उठा कर बेडरूम में ले गया. ले जाकर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया. ऐसा लग रहा था जैसे बेड पर सजी रेशमी चादर बड़ी बेसब्री से हमारा इंतज़ार कर रही थी. मैंने उसके बदन के हर एक मदमाते और महकते अंग को अपनी नज़र से चूमा और फ़िर सीधे ही अपने होंट उसके नरम नाज़ुक होंटो पर रख दिए.

मैंने उसके माथे से लेकर उसके कदमो तक हर जगह पर बिंदास किस किए. मेरे किस करने से वो बेबस होती जा रही थी और मैं उस पर हावी हो रहा था. मुझे महसूस हुआ के सोफिया अपनी गरम नरम और गुलाबी चूत को धीरे धीरे मेरे लंड से रगड़ने की कोशिश कर रही थी. मैंने उसकी चूत को हाथ से सहलाया उसकी चूत पर बाल तो क्या बाल के रोएँ भी नहीं थे. उसने अपनी चूत पर बालो के लिए लेजर ट्रीटमेंट कराया हुआ था.

ऊँगली से सहलाते सहलाते मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया लेकिन तभी सोफिया साथ के साथ पलट गई और मुझे नीचे लेकर ख़ुद मेरे ऊपर आ गई और अपनी चूत को मेरे कड़क लंड पर रखा और पूरे ज़ोर से मुझ से लिपट गई मुझे महसूस हो रहा था जब धीरे धीरे मेरा लंड सोफिया के अंदर जा रहा था. सोफिया की गरम सांसे अब सिसकियों आ अह हह ………आ आःह्ह्छ ………..ओ ऊ ऊह ह्ह्ह हस सावान फक मी फ्रॉम माय डेप्थ …… ओ ऊ उष श्श्श्श ………आ आया हह में बदलने लगी और उस वक्त हम दोनों एक दूसरे में खो गए. जितनी गहराई से मेरा लंड उसकी चूत को चूमता उतनी ज्यादा वो सेक्सी होती जाती वो मेरे ऊपर से ज़ोर ज़ोर से झटके लगाने लगी.

थोडी देर में ही वो मेरे ऊपर ठहर गई मैने सोचा शायद सोफिया का सेक्स पूरा हो गया. मैंने सोफिया को कहा कि बस इतना ही ! तो वो बड़ी अदा से बोली - नहीं मेरी जान ! लेकिन मैं थक गई. मैंने भी पलट कर उसे नीचे कर लिया और अपना लंड चूत में डालते हुए बोला - माय सेक्सी डोल ! लड़कियों को सिर्फ़ लड़कियों के ही काम करने चाहिए. उसके बाद मैंने सोफिया को काफी देर तक चोदा. और हम दोनों का सेक्स साथ साथ पूरा हुआ. हम दोनों एक दूजे पर काफी देर तक लेटे रहे.

हम दोनों की जिस्म की प्यास तो फिलहाल ठंडी हो गई लेकिन पेट की आग सताने लगी क्योंकि रात के दस बज चुके थे. सर्वेंट को भी सोफिया ने जल्दी भेज दिया था और हम दोनों थक चुके थे. लेकिन हमने पिजा आर्डर कर दिया थोड़े ही टाइम में पिजा आ गया हम दोनों ने पिजा खाया. और तब तक हमारा दोबारा कपड़े उतारने का दिल हो गया. खैर दोस्तों रात अपनी थी उस वक्त सोफिया अपनी थी लेकिन उस रात कमबख्त आँखों की नींद अपनी नहीं थी.

एक हफ्ते तक में सोफिया के ही घर में रहा और हमारी हर एक रात सुहाग रात रही. लेकिन सोने पे सुहागा की कंपनी ने हमारे हनी-मून का भी अरेंजमेंट कर दिया मतलब कंपनी ने मुझे सोफिया के साथ उनके हेड ऑफिस प्रोडक्ट ट्रायल के लिए भेज दिया. और वहां फाइव स्टार होटल में हनी-मून एक दम मस्त और बिंदास. तो वहां पर भी सोफिया की चूत का मस्त मस्त मज़ा लिया आपके सावन ने. तो दोस्तों ज़रूर लिखना कि आपको मेरा एक्सपेरिएंस कैसा लगा.

Desi Masala Sex Stories -3 (मेरा बलात्कार)

मेरा बलात्कार

लेखिका : नेहा वर्मा

संजय को हमारे घर पर आए हुए २ दिन हो चुके थे. संजय ३५ साल का था और इंदौर में नौकरी करता था. वो एक तरह से मेरे पापा का दोस्त था. वो दिखने में सुंदर और गोरे रंग का है. जब वो हमारे घर आया तो उसको देख कर मेरा मन मचल उठा. उसने भी जब मुझे देखा तो वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित हो गया था. मैं दिखने में सुंदर हूँ. मेरे स्तन पूरा उभार ले चुके हैं. मेरा बदन गोरा और चिकना है. मेरे शरीर का कटाव, उभार और गहराइयाँ किसी को भी अपनी और खींच सकती हैं. खासकर मेरी चूतडों की गोलाईयां, और उसकी फांकें गोल और उभरी हुयी हैं. मेरी जींस उन गहराइयों में घुस जाती है. जो देखने में बहुत उत्तेजक लगती है।

संजय भी मेरी जवानी के जलवों से बच नहीं पाया. वो मुझसे बार बार बातें करने के बहाने या तो ख़ुद कमरे में आ जाता, या मुझे बुला लेता. मेरी इन सेक्सी हरकतों से उसका मन डोल गया. संजय ने वो हरकत कर दी जिसका मैं इंतज़ार कर रही थी.

मम्मी पापा के ऑफिस चले जाने के बाद मैं अपने कपड़े बदल कर सिर्फ़ कुरता पहन लेती थी. अन्दर पेंटी भी नहीं पहनती थी. कुरता लंबा था इसलिए पजामा भी नहीं पहनती थी. इसके कारण मेरे चूतडों की लचक, बूब्स का हिलना और बदन की लचक नजर आती थी. मैं चाहती थी कि वो किसी तरह से मेरी और आकर्षित हो जाए और मैं उसके साथ अपने तन की प्यास बुझा लूँ. रोज की तरह संजय ने मुझे अपने कमरे में बुलाया. उसने मुझे बैठाया और मुझसे बात करने लगा.

ऐसा लगा कि वो सिर्फ़ यूँ ही बात कर रहा था वो सिर्फ़ मेरा साथ चाह रहा था. मैंने उसे फंसाने के लिए हथकंडे अपनाने चालू कर दिए. मैं कभी हाथ ऊपर करके अंगडाई लेती, कभी अपने बूब को खुजाने लगती. मेरे बूब्स कुरते में से थोड़े बाहर झांक रहे थे, उसकी निगाहें मेरे स्तनों पर ही गडी हुयी थी. मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गयी. इस बीच में हम बातें भी करते जा रहे थे. मैंने एक किताब ले ली और उलटी हो कर लेट गयी ...और उसे खोल कर देखने लगी. अब मेरे नंगे स्तन मेरे कुरते में से साफ़ झूलते हुए दिखने लगे थे. मैंने तिरछी नजरों से देखा उसका लंड अब खड़ा होने लगा था. मेरा कुरता मेरी जांघों तक चढ़ गया था. उसका पजामा का उठान और ऊपर आ गया. मैं मन ही मन मुस्कुरा उठी.

जैसा मैं चाह रही थी वैसा ही हुआ. संजय अपने होश खो बैठा. वो उठा और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गया. मैं जान गयी थी की उसके इरादे अब नेक हो गए है. मैंने अपनी टांगे और फैला ली ...और किताब के पन्ने पलटने लगी. संजय ने मेरे पूरे बदन को देखा और फिर अचानक ही ...... वो बिस्तर पर आ गया और मेरी पीठ पर सवार हो गया. मैं कुछ कर पाती, उसके पहले उसने मुझे जकड लिया. उसके लंड का जोर मुझे चूतडों पर महसूस होने लगा था. मैं जानकर के हलके से चीखी .."संजू ..... ये क्या कर रहो हो ..."

"नेहा ...मुझसे अब नहीं रहा जाता है ...."

" देखो मैं पापा से कह दूंगी ....."

अब उसने मेरे स्तनों पर कब्जा कर लिया था. मुझे बहुत ही मजा आने लगा था. मुझे लगा ज्यादा कहूँगी तो कहीं ये मुझे छोड़ नहीं दे. इतने में उसके होंट मेरे गालों पर चिपक गए. उसने मेरा कुरता ऊपर कर दिया और अपना पजामा नीचे खींच दिया. अब मैं और संजय नीचे से नंगे हो गए थे. उसने एक बार फिर अपने लंड को मेरे चूतडों पर दबाया. मैंने भी चूतडों को ढीला छोड़ दिया ...और उसका लंड मेरी गांड के छेद से टकरा गया.

" अब बस करो ....छोड़ दो न ..... ये मत करो .... संजू .....हटो न ..."

पर उसका लंड मेरी गांड के छेद पर आ चुका था. उसने जैसे ही लंड का जोर लगाया ......कि ... घर की कॉल बेल बज उठी.

संजय घबरा गया. वो उछल कर खड़ा हो गया. और अपना पजामा ठीक करने लगा. मैं एक दम निराश हो गयी. मैं चुदने ही वाली थी की जाने कौन आ गया.

मैं बिस्तर से उठी और संजय को बनावटी गुस्से से देखा और बहार आ गयी. टिफिन वाला खाना लेकर आया था. मन ही मन में टिफिन वाले को खूब गलियाँ दी. मैंने टिफिन किचेन में ला कर रख दिया.

मैं अब अपने कमरे में आ गयी. सोचा कि मौका हाथ से निकल गया. मैं अपने बिस्तर पर जा कर धम्म से उलटी पड़ गयी. मेरा कुरता पंखे कि हवा से उड़कर चूतड पर से ऊपर आ गया. उसी समय मुझे लगा कि मुझे संजय ने फिर से जकड लिया है. इस बार वो पजामा उतार के आया था.

" अरे ..... हट जा न ...... हटो संजय ..."

"मना मत करो ...नेहा ..."

"देखो मैं चिल्ला पडूँगी .."

'नहीं नहीं ...ऐसा मत करना ....... तुम बदनाम हो जोगी ..मेरा क्या है ....."

मेरा मन कह रहा था कि इस बार मुझे मत छोड़ना. चोद के ही जाना.

उसका नंगा लंड अब मेरी चूतडों की दरारों में घुस पड़ा. मैंने टांगे थोडी फैला दी. उसका लंड मेरी गांड के छेद से टकरा गया. जरा से जोर लगाने पर उसकी सुपारी अन्दर घुस पड़ी.

"आह संजू ... मत करो ...न ...... देखो तुमने ...क्या किया ?"

"नेहा ..कुछ मत बोलो ...आज मैं तुम्हे छोड़ने वाला नहीं .... मेरी इच्छा पूरी करूँगा ."

मुझे तो आनंद आ रहा था ... छोड़ने की बात कहाँ थी. वो तो मैं यूँ ही ऊपर से बोल रही थी. मेरे मन में तो चुदने की ही थी.

उसका लंड अब मेरी चूतडों की गहराईयों को चीरते हुए अन्दर बैठने लगा. मैं आनंद से भर उठी. उसके धक्के बढ़ने लगे. मैं बोलती रही "हाय रे ... मत करो ....लग रही है ....हट जाओ न संजय ..."

"आह ...आह ह ...मेरी रानी .... क्या चिकनी गांड है ...... आ अह ह्ह्ह मजा आ रहा है ......."

उसके तेज होते धक्को से मुझे दिल में संतोष मिल रहा था. मन आनंद से भर उठा था. मैं खुश थी कि आज मेरी गांड को लंड मिल गया. और मेरी गांड चुद रही थी.

अचानक उसने मुझे सीधा कर दिया .... और अपना लंड मुझे दिखाया ..."देख नेहा ...इसका क्या हाल किया है तुमने ......"

उसका मोटा कड़क लंड देख कर मेरी उसे चूसने की इच्छा होने लगी .... पर उसके हिसाब से वो मेरा बलात्कार कर रहा था . और जबरदस्ती मेरी गांड चोद रहा था. उसके चोदने की तेजी में मुझे मजा भी आ रहा था. मैंने कहा .."देख संजय ...मैं हाथ जोड़ती हूँ ... मुझे छोड़ दे अब ... प्लीज़ .."

" नेहा ...सॉरी .... ये मेरे बस में नहीं है अब ...... मैं अब पूरा ही मजा लूँगा ..... तुमने मुझे बहुत तड़पाया है .."

कहते हुए उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया ..... और मैंने फिर नाटक करना चालू कर दिया ....... पर कब तक करती ...मैं तो होश खोने लगी थी ..... मैं निहाल हो उठी थी ..... मेरा मन खुशी के मरे उछल रहा था ..... उसके धक्के बढते ही गए ...मेरे चूतड अब अपने आप उछल उछल कर चुदवा रहे थे ....... मेरे मुंह से अपने आप ही निकलने लगा .. " हाय संजय मुझे छोड़ना मत ...चोद दे मुझे ...रे चोद दे ...... हाय संजय तुम कितने अच्छे हो ....लगा ...और जोर से लगा ..."

"हाँ अब मजा आया न रानी ...... मजे ले ले ..... चुदवा ले जी भर के .... हा ...... और ले ....येस ...येस ..."

"मा आ ..मेरी ....हाय ..... माँ रीई ..... चुद गयी माँ ..मेरी ....हाय चूत फट गयी रे ...चोद रे चोद .....मेरी माँ आ ...."

ये ले ...और ले ...... अरे ...अरे .... मैं गया. ...."

कहते हुए संजय मेरे ऊपर लेट गया और लंड का जोर चूत की जड़ में लगाने लगा ... लंड के जोर से गड़ते ही मेरी चूत ने धीरे धीरे पानी छोड़ना चालू कर दिया. मैं जोर से झड़ गयी थी. उसने फिर लंड का जोर लिपटे लिपटे ही लगाया ...और उसका रस निकल पड़ा.

"हा नेहा ...मैं गया ...... निकला ...हाय ...निकला ....... नेहा मुझे जकड लो. मैंने प्यार से उसे लिपटा लिया. मेरी इच्छा पूरी हो गयी थी. वो करवट ले कर साइड में लुढ़क गया.

मैं उसे किस पर किस किए जा रही थी. वो गहरी गहरी सांसे ले रहा था. नोर्मल होते ही वो उठ खड़ा हुआ.

उसने मेरी तरफ़ देखा और मुंह छुपा लिया.

"सॉरी नेहा .... मुझे माफ़ कर देना ...मुझसे रहा नहीं गया .... मैं जानवर बन गया था ... सॉरी ....." वो मुड़ कर कमरे से बाहर चला गया. मैं उसके कमरे में गयी तो वो अपना सामान समेट रहा था. वो जाने की तय्यारी कर रहा था.

मैं उदास हो गयी. मुझे अपनी गलती का अहसास होने लगा था ... मुझे नहीं मालूम था कि मेरी नाटकबाजी उसे अपनी ही नजर में गिरा देगी. मैं भाग कर गयी और उसे लिपटा लिया. और उसे चूमने लगी. "संजय ..मत जाओ न ....."

"नहीं मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं है ..."

"संजय ...... आई ऍम सॉरी ..... मेरी वजह से हुआ ना ...देखो मत जाओ ......"

उसने मुझे देखा और सर झुका लिया

"अच्छा जाओ ...... पर अब मेरे साथ कौन बलात्कार करेगा ..."

उसकी उदासी समाप्त हो गयी थी ....... वो हंस पड़ा ........ मैं भी उस से लिपट गयी।

Desi Sex Stories- 2 (मैं और मेरी मौसी की लड़की गौरी)

मैं और मेरी मौसी की लड़की गौरी – 1

प्रेषक : गॅप

ये कहानी मेरी और गौरी की है। हम दोनो के नाम इसमें बदले हुए हैं। दरसल, गौरी मेरी मौसी की लड़की है। मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी मम्मी की मौसी की लड़की की लड़की। गौरी मुझसे दो साल बड़ी है। गौरी के परिवार से हमारे बहुत अच्‍छे रिश्तें है। गौरी को मैं बहन ही मानता था। परन्तु, मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी और उसके बड़े भाई ने ही बिगाड़ा था।

गौरी की नानी मेरी नानी के घर के पास ही रहती थी। क्योंकि वो बहुत छोटी उम्र में ही विधवा हो गई थी। और उनके केवल दो लड़की ही थी। इसीलिए मेरे नाना उनको अपने पास ही लियाऐं थे। और उनको अपना एक घर भी दे दिया था। गौरी की नानी अकेली रहती थी। इसीलिए गौरी की मम्मी ने गाँव में नानी के पास अपनी बड़ी लड़की रानी को छोड़ दिया था।

हुआ यूँ कि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ नानी के घर गया। शाम को मैं नानी के घर से गौरी की नानी के घर चला गया। वहाँ पर मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी मिली। रानी ने दरवाज़ा खोला और मुझको अंदर बुला लिया। मैं अंदर पहुँचा और एक खाट पर बैठ गया। वहीँ पर रानी भी मेरे पास बैठ गई। कुछ देर तो उसने मुझसे बात की। फिर थोड़ी देर बाद वो लेट गई और अपनी सलवार में हाथ डालकर हिलाने लगी। कुछ देर तो मैं भी यूँ ही देखता रहा और फिर मैंने पूछा के ये क्या कर रही हो। उसने कहा के मेरी चूत में खुजली हो रही है। मैं इसको खुज़ा रही हूँ। मैंने कहा ये चूत क्या होती है तो वो बोली अभी तू बच्‍चा है बड़ा हो कर जब चूत मारेगा तो सब समझ जाएगा।

मैंने कहा - मारेगा ? तो वो बोली हाँ तभी तो बच्‍चे पैदा होते है। मैंने कहा इसे कैसे मारते हैं? वो बोली किसी से तू कुछ कहेगा तो नही मैंने कहा नही। तो बोली वादा कर मैंने कहा वादा रहा। फिर उसने झट से अपनी सलवार उतार दी और मुझसे बिल्कुल चिपक गयी। मुझे कुछ पता ही नही था मेरी समझ में नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। फिर मैं बोला ये क्या कर रही हो वो बोली चूत मारना सीखना है या नही मैं चुप रहा।

फिर वो बोली तू मुझको आज खुश कर दे फिर तुझको मैं गौरी की चूत भी दिलवा दूँगी मैंने कहा गौरी की? वो बोली हाँ। गौरी को कुछ दिन बाद एक लंड की जररूत होगी और तुझको एक चूत की। इसीलिए, तुम दोनो आपस में कर लेना। मैंने कहा अभी क्यों नही तो बोली अभी गौरी छोटी है। मैंने कहा कितने दिन और लगेंगे उसको वो बोली जब वो बडी होगी जब मैं तेरे से ही उसकी सील तुडवाऊंगी। अब तू चुप हो जा मुझको मज़ा आने लगा है।

फिर मैं चुप हो गया और उसे बस करते हुए देखता रहा उसने धीरे से मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को निकालकर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी और बीच-बीच में बोल रही थी कि खड़ा कर मुझे पता नही था कि खड़ा कैसे होता है। फिर उसने मेरे छोटे से लंड को अपनी चूत पर रखकर ज़ोर से झटका मारा पर मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया था वो बोली इसे अंदर डाल ना मैं भी कोशिश करने लगा तो मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अंदर कर दिया। और धीरे धीरे हिलने लगी अब उसका पानी निकलने लगा था।

वो बोली मुझको मज़ा आ रहा है थोड़ी देर और अंदर की तरफ ज़ोर लगा और ऊपर-नीचे हो। मैंने ऐसे ही किया थोड़ी देर बाद फिर वो बोली अब हट जा मुझको तूने मज़ा दे दिया। और उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया। फिर वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली ये अभी छोटा है इसे बड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि लंड जितना बडा और मोटा होता है उतना ही लडकी और औरत को मज़ा आता है औरत और लडकी को बार-बार चुदने के ‍लिए कहीं ओर नही जाना पडता और तुझको भी तो बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि तेरा लंड भी तो टाईट और सही जायेंगा। जब लंड, चूत और गाँड में टाईट और सही जाता है तो फिर दोनो को खुब मज़ा आता है।

फिर उसने मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ङाल लिया और उसे चाटने लगी और उसे आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी। फिर दरवाज़े पर कोई आ गया। उसने मेरे लंड को मुंह से निकाला और पैंट के अंदर कर दिया और मुझ से बोली अपनी पैंट बंद कर ले। फिर वो उठी और सलवार का नाडा बाँधते हुए दरवाज़ा खोलने चली गयी। वहाँ पर एक पड़ोस का आदमी था। उन दोनो में कुछ बात हुई और वो चला गया फिर रानी अंदर आई।

मैं बोला अब गौरी की सील कब तुड़वाओंगी फिर वो बोली अभी तेरा बहुत छोटा है इसे बड़ा कर। मैंने पूछा ये बड़ा कैसे होगा। वो बोली- इसे चुसवाना मैंने कहा तो तुम्ही बड़ा कर दो वो बोली ठीक है। लेकिन जब तू मुझे मिलेगा तो मैं तेरा ये बड़ा करूंगी और तू मुझे खुश कर देना। मैंने कहा ठीक है। फिर मैं अपनी नानी के घर आया और रात को खाना खाकर सो गया। सुबह हम जल्दी उठे और अपने घर पर आ गये।

अब मेरा रानी से कोई कॉन्टेक्ट नही था। दो साल बाद मैं एक दिन गौरी के घर गया वहाँ पर मुझे गौरी का बड़ा भाई मिला। वो दिन राखी का दिन था। गौरी की गली की एक लड़की आ‍ई हुयी थी जो गौरी की सहेली थी। उसका नाम अंजू था। अंजू का रंग एक दम गोरा बिलोरी आँखें चूची छोटी छोटी बाल लंबे उसने एक महरुन फ्राँक पहन रखा था। फिर कुछ देर बाद गौरी के घर पर हम छुपा छुपी का गेम खेलने लगे।

गौरी, मैं, गौरी का बड़ा भाई, अंजू और गली के कुछ बच्चे। मैं, अंजू और गौरी बड़ा भाई एक स्टोर रूम में छुप गये। वहाँ पर मैंने देखा के गौरी का बड़ा भाई अपना लंड निकल कर खड़ा था। उसका लंड बहुत बड़ा था। और वो अंजू को अपनी तरफ खींच रहा था। अंजू मना कर रही थी। और कह रही थी की गॅप सब को बता देगा। फिर गौरी के बड़े भाई ने मुझसे पूछा के तू बताऐंगा तो नही। मैंने कहा एक शर्त पर, अगर मुझे भी सिख़ाओगे तो वो बोला ठीक है। रात को सब कुछ बता दुंगा।

फिर उसने अंजू की फ्राक ऊपर की और उसकी कच्‍छी उतार दी। वो संदूक पर बैठा और अंजू को अपने ऊपर बैठा लिया और अंजू को ऊपर-नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे रानी की लंड बड़ा करने की बात याद आ गई। मैं भी अंजू के मुहूँ में लंड देना चाहाता था पर दरवाज़े पर खट खट की आवाज़ हुई अंजू एक दम खड़ी हो गई और अपनी कच्‍छी ऊपर की और हम सब बाहर आ गये।

अब गौरी के बड़े भाई की ढूंढने की बारी थी। अब की बार मैं और अंजू उस ही स्टोर में छुप गये। मैंने धीरे से अंजू का हाथ पकड़ लिया। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मैंने उससे पूछा की तुम क्या कर रहे थे। वो बोली तेरा भाई मेरी चूत मार रहा था। मैंने कहा अच्‍छा तो ये बात है। फिर वो बोली तू भी मेरी चूत मारेगा क्या। मैंने कहा नही मुझे तो अपने लंड को बड़ा कराना है। वो बोली अच्‍छा तो लंड चूसवाना चाहता है। चल ठीक है, वो बोली निकाल अपना लंड देखो कितना बड़ा है। मैं बोला खुद ही निकाल ले।

उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड निकाल लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ तो मेरा लंड बड़ा हो गया और एक रोड के समान सखत हो गया। फिर मुझे अच्छा भी लगने लगा तो बोली तेरा लंड तो बड़ा हो गया मैंने कहा इसे और बड़ा कर। तो वो बोली, किसी को मारेगा क्या फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। करीब पाँच मिनट बाद वो बोली क्या पहली बार कर रहा है। तो मैंने उससे रानी के बारे में बता दिया। तो वो बोली रानी ने अपने भाई के साथ ही कर लिया। तो मैंने कहा तू भी तो भाई को राखी बाँधती है। वो बोली हम सगे तो नही है। मैंने कहा हम भी सगे नही है। फिर वो बोली चल बाहर चल वरना सब को शक हो जाऐगा।

फिर हम बाहर आ गयें और अंजू अपने घर जाने लगी। अंजू बोली गॅप घर आ जाना मैंने कहा ठीक है। रात को मैं और गौरी का बड़ा भाई अंजू के घर चले गये। अंजू के घर पर केवल वो और उसकी छोटी बहन ही थी। फिर मैंने भाई से कहा मुझे भी सीखना है। वो बोला अभी रूक जा उसकी छोटी बहन को सो जाने दे। रात को करीब एक बजे अंजू हुमारे पास आ गई।

अब भाई मुझसे बोला तूने कभी चूत देखी मैंने कहा नही तो अंजू हँस पड़ी। मैं उसकी हँसी का मतलब समझ गया था। क्योंकि मैंने शाम को उसे रानी के बारे में बताया था। फिर भाई ने उसकी फ्राक ऊपर की और मैंने देखा कि अंजू ने फ्राक के नीचे कुछ भी नही पहन रखा था। फिर भाई ने उसे लिटाया और उसकी टांग ऊपर कर के चौडा दी। फिर वो बोला देख ये होती है चूत।

मैने देखा कि अंजू की चूत एक दम गुलाबी थी और उस पर घूघंराले बाल थे। फिर भाई बोला - बहन की लोड़ी ! मैंने तुझसे कहा थे के बाल साफ कर लेना।

वो बोली - बहन के लंड ! तूने मुझको टाइम ही कहाँ दिया।

फिर भाई बोला बहनचोद आज तेरी चूत ना फाडी तो मैं भी मर्द नही।

इतने में अंजू ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली - तेरा लंड बड़ा करूं और उसने मेरी पैंट उतार दी। और अंडर‍वियर के बीच में हाथ डालकर लंड निकाल लिया।

फिर भाई से बोली - ओऐं बहन के लौड़े ! जल्दी से चोद। मुझे वापिस अपनी बहन के पास जाना है। फिर वो बोला ठीक है।

भाई ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे चूत मारने का तरीका बताने लगा। भाई ने अंजू की चूत की दोनो तरफ की खाल अलग कर दी। अब उसकी चूत साफ दिख रही थी। भाई ने अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के लाल दाने पर रखा और एक ज़ोर से झटका दिया। अंजू को बहुत दर्द हुआ। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपना सर इधर उधर हिलाने लगी। और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था। फिर भा‍ई थोड़ी देर रुका। अंजू भी मुझे देख रही थी और मुझे भी मज़ा देना चाहती थी पर दर्द के कारण कुछ कर नही पा रही थी। फिर कुछ देर बाद उसका दर्द बंद हुआ। फिर वो बोली कर ना ! जल्दी मुझे जाना है। और वो मेरा लंड पीने लगी अब मुझे और भी अच्छा लग रहा था। फिर भाई उसे चोदने लगा। कुछ देर बाद अंजू के मुँह से निकाला के ज़ोर से चोद मेरी चूत फाड़ और वो मेरे लंड को जोर से और पागल की तरह चूस रही थी। फिर वो भाई से बोली लंड निकाल मैं झडने वाली हूँ। भाई ने अपना लंड निकाला तो भाई के लंड से सफेद पानी निकला।

मैं बोला ये क्या है तो भाई बोला - इसी से बच्‍चे बनतें है। इसी तरह का पानी इसकी चूत छोड़ रही है। फिर मैंने कहा मुझे देखना है तो भाई ने अंजू की टांग ऊपर की और उसकी चूत फाड़कर दिखाने लगा। तो अंजू की चूत से खून और सफेद पानी निकल रहा था। वो बोला आज इसकी सील टूटी है। इसी लिए इसकी चूत से खून निकल रहा है।

फिर मैं अंजू के पास गया और अंजू अपने आप ही मेरे लंड पकड़ कर चूसने लगी कुछ देर बाद मुझे अंदर कुछ अच्छा महसूस हुआ और मेरा सारा पानी अंजू के मुँह में निकल गया। वो बोली ये क्या किया गंदा ना हो तो। मैंने कहा मुझे पता ही नही चला। फिर वो उठी और अपने आप को साफ करके और अपने कपडे सही करके चली गई।

अब मुझे गौरी के बारे में ख्याल आने लगा कि मैं भी उसकी सील तोड़ूंगा। क्योंकि मुझे गौरी की बड़ी बहन ने वादा किया था। फिर उस रात मैंने भाई से सारा गुप्त ज्ञान ले लिया। और उसके बाद उसकी बहन गौरी को और रानी को, अपनी बुआ को, पडोस की तीनो बहुओं को, अपनी सग़ी चाची को, अपने मामा की लड़की को, अपनी दो मेडम को, अंजू को, अपने गुरु की तीसरे नंबर की लडकी को चोदा और इनके अलावा भी कईयों को चोदा है।

Desi Sex Stories- एक मस्ती का सफर

एक मस्ती का सफर

प्रेषिका - नेहा वर्मा

मैं जब २५ साल की थी. मैं उस समय झाँसी में रहती थी. मेरी जयपुर मैं नई नई नौकरी लगी थी. मुझे २ दिन बाद जयपुर जाना था. पापा ने अपने ऑफिस का ही एक काम करने वाला, जो जयपुर में रहता था, उसे मेरे साथ में भेजने के लिए तैयार कर लिया था.

घर की बेल बजी तो मैंने बाहर निकल कर देखा. एक सजीला २५ -२६ साल का लड़का बाहर खड़ा था. मैंने पूछा - "कहिये ... किस से मिलना है ..."

उसने मुझे देखा तो वो बोल उठा -"अरे नेहा ... तुम यहाँ रहती हो .."

"हाय ... तुम अनिल हो ... आओ अन्दर आ जाओ ..." उसे मैंने बैठक मैं बैठाया।

अनिल मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था. उसने बताया कि वो अब पापा के ऑफिस में काम करता था.

"अंकल ने बुलाया था ... जयपुर कौन जा रहा है .."

" मैं जा रही हूँ ..."

"अंकल ने मुझे आपके साथ जाने को कहा है .... रिज़र्वेशन के लिए बुलाया था ... मैं भी २ दिन बाद जा रहा हूँ "

मैंने सोचा कि कॉलेज में जब पढ़ते थे तो तब तो ये मेरी तरफ़ देखता भी नहीं था. उसे देखते ही मन में पुरा्नी यादें उभरने लगी. अनिल मुझे आरम्भ से अच्छा लगता था. अब जयपुर तक साथ जाएगा तो इसे छोडूंगी नहीं. मैंने कहा - "आगे का स्लीपर लेना है ... वरना बस में परेशान हो जायेंगे. झाँसी से जयपुर लंबा सफर है "

"ओके तो २ दिन बाद के स्लीपर लेना है ...अंकल को बता देना "

अनिल चला गया. अब मैं अपने प्लान बनाने लगी .... मुझे सब समझ में आने लगा कि अनिल को कैसे पटाना है.

हम बस स्टैंड पहुच गए. बस में अनिल पहले से ही नीचे वाली डबल सीट पर बैठा था. मेरे आते ही वो खड़ा हो गया और बाहर आ गया. अभी बस जाने में १५ मिनट बाकी थे. मैंने आज सलवार और कुरता पहन रखा था. पर पेंटी नहीं पहनी थी. इस से मेरे चूतड़ में लचक अधिक दिख रही थी. अनिल ने मेरे चूतड़ों को बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखा. मैं तुंरत भांप गयी. मैं अब कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गयी.

"बड़ी सुंदर लग रही हो .."

"थैंक्स ..... अनिल ... सीट नम्बर क्या है "

"आगे वाले पहले दो स्लीपर है ... सिंगल नहीं मिला "

मन में सोचा ... ये अनिल की शरारत है. पर मुझे तो मौका मिल गया था. ऊपर से गुस्सा हो कर बोली -"मैंने तो सिंगल के लिए कहा था ....... पर ठीक है .."

"अरे यार ...खूब बातें करेंगे ...... साथ रहेंगे तो ."

बस का टाइम हो गया था. पापा मुझे छोड़ कर जा चुके थे. हम दोनों सीट पर आ गए. आगे से दूसरे नम्बर की सीट थी. पहले मैं जा कर खिड़की के पास बैठ गयी. फिर अनिल भी बैठ गया. बस खाली थी. झाँसी से बस ग्वालियर तक खाली रहती है. पर ग्वालियर में सब सीट फुल हो जाती है. कंडक्टर से अनिल ने ग्वालियर तक सीट पर बैठने की परमिशन ले ली थी. अँधेरा हो चला था. सड़क की बत्तियां जल उठी थी. शाम के ठीक ७ .३० बजे बस रवाना हो गयी. हम दोनों कॉलेज के टाइम की बातें करने लगे. दतिया स्टेशन क्रॉस हो चुका था. मैंने अपनी चादर और पानी की बोतल बगल में सीट पर रख दी. और थोड़ा अनिल से सट कर बैठ गयी. मेरे और अनिल की टांगे आपस में रगड़ खा रही थी. उसकी जांघों का स्पर्श मेरी जांघों पर हो रहा था. मैं अब जान कर बस के मुड़ने पर उस पर गिर गिर जाती थी. और उसकी जंघे पकड़ कर सीधी हो जाती थी. इतने में बस की लाइट जल गयी. मैंने पीछे मुड कर देखा तो थोड़े से लोग सीट पर बैठे झपकियाँ ले रहे थे. अचानक लाइट बंद हो गयी.

अब बस में पूरा अँधेरा था. मैंने आंखे बंद कर ली और सर पीछे करके बैठ गयी. इतने में मुझे महसूस हुआ कि मेरी जांघ पर अनिल के हाथ का स्पर्श हुआ है. पजामे के ऊपर मेरी मुलायम जांघों को उसका हाथ छू रहा था. मैं सिहर उठी. मुझे लगा अब अनिल चालू हो गया है. पर मैं चुपचाप रही. उसने अपना हाथ सहलाते हुए आगे बढाया और हौले से दबा दिया. मुझे करंट लगने लगा था. मैंने आँखे खोल कर उसकी और देखा. वो जान कर आंखे बंद करके ऐसा कर रहा था. उसने हाथ चूत कि तरफ़ बढ़ा दिया। मौका हाथ से निकल न जाए इसलिए मैं चुप ही रही और टांगे थोडी चौड़ी कर दी. अब उसका हाथ मेरे चूत की फांकों पर आ गया था. मैंने अब उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ़ खींच लिया. और उसे धीरे धीरे अपने स्तनों की तरफ़ ले जाने लगी. अनिल ने मेरी तरफ़ देखा. मैं भी उसकी नजरों में झाँकने की कोशिश करने लगी.

उसने अपना चेहरा मेरी तरफ़ बढ़ा दिया. मैंने भी धीरे से उसके होंट पर अपने होंट रख दिए. वो मेरे होंटो को चूमने लगा. मैंने भी जवाब में उसके होंटों के अन्दर अपनी जीभ डाल दी. उसके हाथ मेरे स्तनों पर आ चुके थे. अनिल ने मेरे बूब्स हौले हौले दबाना चालू कर दिए. मेरी आँखे मस्ती में बंद होती जा रही थी. मेरा हाथ उसके लंड की तरफ़ बढ़ चला. पेंट के ऊपर से ही लंड की उठान नजर आ रही थी. मेने उस को ऊपर से ही सहलाना चालू कर दिया. ऐसा लगा जैसे उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा ..... अनिल के हाथ मेरे शरीर को दबा दबा कर सहला रहे थे. मेरी उत्तेजना बदती जा रही थी. मैंने उसकी पेंट का जिप खोला और अन्दर से लंड पकड़ लिया. वो अन्दर अंडरवियर नहीं पहना था. लगा की वो भी इसी तय्यारी के साथ आया था.

"हाय रे मसल दो ..... हाय .... तुमने अंडरवियर नहीं पहनी है ..."

"नहीं ... मैंने तो जान कर के नहीं पहनी थी ... पर तुमने भी तो नहीं पहनी है ..."

" मैंने भी जान बूझ कर नहीं पहनी थी ..." तो आग दोनों तरफ़ लगी थी .....

मैंने खींच कर उसका लंड पेंट से बाहर निकल लिया. मैंने झांक कर इधर उधर देखा. सभी आराम कर रहे थे. बस तेजी से मंजिल की और बढ़ रही थी. उसका लंड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया. मैंने उसके सुपारी के ऊपर की चमड़ी को ऊपर चढा दिया. उसकी लाल लाल सुपारी खिड़की से आ रही लाइट से बार बार चमक उठती थी. मैंने सर झुकाया और उसकी सुपारी अपने मुंह में ले ली. और उसका लंड नीचे से पकड़ कर मुठ मारना चालू कर दिया. मेरी हालत भी कुछ कम नाजुक नहीं थी. मैंने भी अपने पजामे का नाडा खोल दिया था. अब वो पीछे से हाथ बढ़ा कर मेरी गांड की गोलाईयों को दबा रहा था. उसके हाथ मेरे चूतड की दरार में भी घुसे जा रहे थे. पर मैं बैठी थी और आगे झुकी हुयी थी इसलिए उसे चूत के दर्शन नहीं हो रहे थे. हम दोनों के हाथ बड़ी तेजी से चलने लगे थे. उसने मेरी चूचियां मसल मसल कर मुझे बेहाल कर दिया था. मेरे मुंह में लंड था इसलिए मैं आह भी नहीं निकाल पा रही थी.

अनिल ने धीरे से कहा -"नेहा ...बस करो ... छोड़ दो अब "

" नहीं ... अभी नहीं ..राम रे ...मजा आ रहा है ..." मैंने उसकी सुपारी जोर से चूसने लगी और साथ ही जोर से मुठ मरने लगी. वो अपने को रोक नहीं पा रहा था. दबी जबान से मस्ती के शब्द निकाल रहे थे ....."अरे .. बस ...अब नहीं .... बस ..बस .... हाय ... निकल रहा है ..नेहा ..." कहते हुए उसका लावा उबल पड़ा और रुक रुक कर पिचकारी छोड़ने लगा. मेरे मुंह में उसकी सुपारी तो थी ही. मेरे मुंह में रस भरने लगा. मैंने गट गट कर पूरा पी लिया .... और चाट कर साफ़ कर दिया.

मैं अब बैठ गयी. उसने भी अपने कपड़े ठीक कर लिए. मैंने भी पजामे को ठीक करके नाडा बाँध लिया. ग्वालियर में बस पहुँच चुकी थी. बस की लाइट जल उठी. बस स्टैंड पर आ कर रुक गयी.

कंडक्टर कह रहा था. "१५ मिनट का स्टाप है ..... नाश्ता कर लो .....सभी अब अपने अपने स्लीपर पर चले जाए .."

हम दोनों बस से उतर गए. और कोल्ड ड्रिंक पीने लगे.

"नेहा .. मजा आ गया ... तुम्हारे हाथों में तो जादू है ....."

"और तुम्हारे हाथो ने तो मुझे मसल कर ही रख दिया ....." मैं मुस्कराई.

'मेरा लंड कैसा लगा ......."

"यार है खूब मोटा ......पर जब चूत में जाएगा तो पता चलेगा ..कि कैसा है .."

दोनों ही हंस पड़े.

बस का टाइम हो रहा था. हम दोनों बस में स्लीपर में घुस गए, और नीचे वाली दोनों सीट खाली कर दी. स्लीपर में हमने चादर साइड पर रख ली और दोनों लेट गए. बस फिर से चल दी. मुझे अभी चुदवाना बाकी था.

मैंने कहा -"अनिल मैंने नाडा खोल लिया है ....... तुम भी पेंट नीचे खींच लो न. ."

अनिल खुशी से बोला "चुदवाने का इरादा है ...... ठीक है .." अनिल ने स्लीपर का परदा खेंच कर बंद कर दिया. इतने में बस की लाइट भी बंद हो गयी .अनिल ने अपना पेंट नीचे खीच दिया .अब हम दोनों नीचे से बिल्कुल नंगे थे. अनिल ने चादर अपने ऊपर डाल ली. और मुझे कमर से खींच कर मेरी पीठ से चिपक गया. मेरी चिकनी गांड का स्पर्श पा कर उसका लंड फिर से हिलोरें मरने लगा. बार बार मेरी चूतडों की फांकों में घुसने की कोशिश करने लगा. मैंने मुड कर उसकी तरफ़ देखा तो अनिल ने प्यार से मेरे गलों को चूम लिया और नीचे गांड पर जोर लगाया उसका लंड मेरी दोनों गोलाईयों को चीरता हुआ मेरी गांड के छेड़ से टकरा गया. मुझे लग रहा था कि वो जल्दी से अपने लंड को मेरी गांड में घुसेड दे. मैंने एक हाथ बढ़ा कर उसके चूतड पकड़ लिए और अपनी तरफ़ जोर से चिपका लिया. अनिल ने भी अपनी पोसिशन ली और अपने लंड को गांड के छेड़ में दबा दिया. उसकी सुपारी गांड में फक से घुस गयी. मेरे मुंह से आह निकल गयी. उसने अपना लंड थोड़ा बाहर खींचा और फिर से एक झटका दिया. लंड अन्दर घुसता ही चला जा रहा था. जैसा जैसा वो धक्के मरता लंड और अन्दर बैठ जाता. लंड पूरा घुस चुका था. अब अनिल रिलाक्स हो गया. और लेट गया अब वो मजे से गांड चोद रहा था. मुझे भी अब मजा आने लगा था. उसके धक्के अब तेज होने लगे थे.

अचानक उसने मुझे सीधा लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया. और मेरी चूत में अपना लंड घुसेड दिया. लंड बस के झटको और धक्कों से एक बार में अन्दर तक बैठ गया. मैं खुशी के मारे सिसकारी भरने लगी.

"धीरे .... नेहा ...धीरे ..."

"अनिल ..मैं मर जाऊंगी ...हाय ..." उसने मेरे होटों पर होंट रख दिए जिस से मैं कुछ न बोल सकूँ .....

मेरी उत्तेजना बढती जा रही थी. मैंने अपनी चूतडों को हिला हिला कर जोर से धक्कों का उत्तर धक्कों से देने लगी. अब मुझे लगाने लगा कि मैं झड़ने ही वाली हूँ. नीचे आग लगी हुयी थी ....... मेरी चूत में मीठी मीठी गुदगुदी तेज हो उठी. मन में सिस्कारियां भर रही थी. अब लग रहा था कि अब मैं गयी ......मैंने चूत को ऊपर दबाते हुए जोर से पानी छोड़ने लगी. मेरा मुंह उसके होटों से चिपका था. कुछ बोल नहीं पाई. और अब पूरा पानी छोड़ दिया. उधर अनिल ने भी अपनी रफ़्तार तेज कर दी. मैं झड़ चुकी थी और अब उसका लंड का मोटापन और उसका भारी पन महसूस होने लगा था. अचानक ही उसके लंड का दबाव मेरी चूत में बहुत बढ गया. मेरे मुंह से चीख निकल कर उसके होटों में दब गयी. मुझे अपनी चूत में अब गरम गरम रस निकलता हुआ महसूस होने लगा. उसके वीर्य की गर्माहट मुझे अच्छी लगने लगी. अनिल निढाल हो कर मेरे पास में लुढ़क गया. उसका वीर्य मेरी चूत में से बह निकला. मैंने चादर को अपनी चूत पर लगा दी. वीर्य रिसता रहा मैं उसे पोंछती रही.

अचानक लगा कि कोई सिटी आने वाला है. मैंने अनिल को उठाने के लिए हिलाया पर वो सो चुका था. मैंने अपने कपड़े ठीक कर लिए. और अनिल के पेंट को ठीक करके उस पर चादर ओढा दी. बस रुक चुकी थी. धौलपुर आ गया था. यहाँ पर यात्री डिनर के लिए उतरते हैं. पर मैं एक करवट लेकर अनिल से चिपक कर सो गयी.